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दर्द शायरी : जब लगा था खँजर तो इतना दर्द ना हुआ

दर्द शायरी : जब लगा था खँजर तो इतना दर्द ना हुआ

Dard Shayari in Hindi
Dard Shayari in Hindi

जब लगा था खँजर तो इतना दर्द ना हुआ,
जख्म का एहसास तो तब हुआ जब चलाने वाले पे नजर पड़ी।

गिरते हुए आँसुओं को कौन देखता है
झूठी मुस्कान के दीवाने हैं सब यहाँ।

जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है,
जो साज़ पर बीती है वो दर्द किस दिल को पता।

दिल से बड़ी कोई क़ब्र नहीं है,
रोज़ कोई ना कोई एहसास दफ़न होता है॥

मुश्किलों से कह दो की उलझे ना हम से,
हमे हर हालात मैं जीने का हूनर आता है।

हम से पूछो शायरी मागती है कितना लहू,
लोग समझते है धंधा बङे आराम का हैं..!

मेरे न हो सको, तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसी थी.. मुझे फिर से वैसा कर दो।

वो आज मुझ से कोई बात कहने वाली है,
मैं डर रहा हूँ के ये बात आख़िरी ही न हो।

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